भारत त्योहारों का देश है पूरे भारतवर्ष में मकर सक्रांति किसी न किसी रूप में अवश्य मनाई जाती है | अलग-अलग राज्यों, शहरों और गांवों में मकर सक्रांति वहां की स्थानीय परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है | सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को सक्रांति कहते हैं | जब पौष माह में भगवान भास्कर उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं।तो यह शीतकालीन संक्रांति पूरे देश में मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है, वर्तमान समय में यह त्यौहार हर वर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है |
मकर संक्रांति क्या है?
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को एक सक्रांति कहा जाता है एक सक्रांति और दूसरे सक्रांति के बीच का समय एक सौर मास कहलाता है वैसे तो सूर्य की 12 सक्रांति होती है लेकिन इन 12 सक्रांति में चार सक्रांति महत्वपूर्ण है | जिसमें मेष तुला मकर और कर्क संक्रांति आती है|
भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में इसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है
पंजाब: पंजाब में 1 दिन पहले इस पर्व को लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है|
गुजरात और राजस्थान: गुजरात और राजस्थान में इस पर्व को उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है|
असम में इस पर्व को भोगली बिहू के नाम से मनाया जाता है|
पश्चिम बंगाल : हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है|
दान दक्षिणा का विशेष महत्व:
मकर संक्रांति के दिन दिया हुआ दान का विशेष महत्व बताया है मकर सक्रांति को पुराणों में देवताओं का दिन बताया गया है मान्यता है कि इस दिन किया हुआ दान सौ गुना होकर वापस आता है|
कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने देह त्याग करने के लिए मकर सक्रांति का दिन ही चुना था|
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Shaandaar!